वित्तीय स्वतंत्रता क्या है? Financial freedom meaning in hindi

आज इस आर्टिकल Financial freedom meaning in hindi में हम आर्थिक आजादी यानी वित्तीय स्वतंत्रता क्या है और वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें? इसके बारे में विस्तार से बतायेंगे।

आज के समय प्रत्येक व्यक्ति का मुख्य लक्ष्य पैसे कमाना है और इसी के लिए सभी लोग तरह तरह की पढ़ाई, कोर्स और डिग्री आदि करते हैं ताकि अच्छी से अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकें या बिजनेस कर सकें। और फिर दिन रात सारी उम्र पैसे कमाने में लगे रहते हैं, लेकिन फिर भी इतना पैसा नहीं कमा पाते जिससे पैसे कमाने की चिंता से मुक्त हो जाये। क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं होता कि फाइनेंसियल फ्रीडम क्या होती है और इसे कैसे हासिल करें

वित्तीय स्वतंत्रता क्या है? Financial freedom meaning in hindi

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वित्तीय स्वतंत्रता का मतलब होता है पैसे कमाने की चिंता से मुक्ति यानी आप चाहे आराम करते रहे सोते रहे या मौज मस्ती के लिए कहीं घूमने चले जाएं तो भी आपकी कमाई होती रहे। और पैसे कमाने से संबंधित कोई भी काम आपको मजबूरीवश ना करना पड़े बस शोक से किया जाए

अगर आपने finencial freedom के बारे में पहले कभी नहीं सुना तो एक बात आपके दिमाग में जरूर आ रही होगी कि क्या ऐसा सच में हो सकता है कि हम एक्टिव रूप से कोई काम ना करे और फिर भी हमें हमारी सारी जरूरतों और शोक को पूरा करने के लिए काफी सारा पैसा मिलता रहे। तो इसका जवाब है हां, ऐसा बिल्कुल संभव है और आप भी ऐसा कर सकते हैं। और इसे ही तो वित्तीय स्वतंत्रता यानी फाइनेंसियल फ्रीडम कहा जाता है

लेकिन सिर्फ सैलरी या बिजनेस इनकम से वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना संभव नहीं है। इसके लिए आपको नेट वर्थ को समझना होगा। क्योंकि नौकरी/बिजनेस से होने वाली इनकम नेट वर्थ के चार हिस्सों का सिर्फ एक हिस्सा है

सैलरी और नेट वर्थ में क्या अंतर है?

सैलरी और नेट वर्थ के बीच के भारी अंतर को बहुत कम लोग जानते हैं। ज्यादातर लोग सैलरी या इनकम को ही नेट वर्थ समझ बैठते हैं और इसीलिए बस सैलरी बढ़ाने के चक्कर में लगे रहते हैं, हालांकि सैलरी भी महत्वपूर्ण है लेकिन यह नेट वर्थ का सिर्फ एक हिस्सा है

सबसे अमीर व्यक्ति कौन है या कौन व्यक्ति कितना अमीर है यह सब नेट वर्थ से निर्धारित होता है ना कि मंथली सैलरी या वार्षिक आमदनी से। नेट वर्थ चार तत्वों से मिलकर बनती है और इनकम या आमदनी इसका सिर्फ एक तत्व होता है।

आइये अब नेट वर्थ के चार तत्वों को एक एक करके विस्तार से समझते हैं

नेट वर्थ के 4 मूलभूत तत्वों को समझें

नेट वर्थ चार तत्वों से मिलकर बनती है जो निम्न प्रकार से हैं

1. आमदनी

आमदनी का मतलब मंथली सैलरी या बिजनेस से होने वाली वार्षिक आय से है। सैलरी वह आय होती है जो किसी प्राइवेट या सरकारी जॉब के द्वारा प्राप्त होती है। इसके लिए हर दिन कुछ निश्चित घँटे काम करना पड़ता है और उस काम के बदले भुगतान के रूप में हर महीने सैलरी यानी तनख्वाह मिलती है।

और इनकम किसी बिजनेस/व्यापार से होने वाली कमाई को कहा जाता है जिसका हिसाब किताब इयरली यानी वार्षिक रूप से किया जाता है। सैलरी व इनकम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनमें बढ़ोतरी से नेट वर्थ भी बढ़ती है, लेकिन ये नेट वर्थ का सिर्फ एक हिस्सा हैं

2. बचत

बचत का मतलब सैलरी या इनकम से कमाए हुए पैसों में से खर्च करने के बाद बचाये हुए पैसे से है। भले ही आपकी सैलरी लाखों रुपयों हैं लेकिन आप सारे पैसे खर्च कर देते हैं और एक भी रुपया नहीं बचा पाते हैं तो भी कोई फायदा नहीं है। क्योंकि ऐसा करने से नेट वर्थ पर कोई फर्क नहीं पड़ता वह वही की वही रहती है।

असल में जितने ज्यादा पैसे आप बचाते हैं नेट वर्थ भी उतनी ही ज्यादा बढ़ती है। finencial freedom के लिए बचत महत्वपूर्ण है लेकिन यह भी नेट वर्थ का सिर्फ एक हिस्सा है

3. निवेश

निवेश का मतलब बचाये हुए पैसे को ऐसी जगह लगाने से है जहां से आपको सक्रिय रूप से बिना कोई काम किये पैसे से पैसे मिलते रहें यानी पैसिव कमाई होती रहे। निवेश नेट वर्थ का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है और अमीर लोगों के अमीर बनने का राज भी यही है

निवेश से होने वाली आय के मुख्य प्रकार निम्न प्रकार से हैं

  • शेयर मार्केट में खरीदे गए शेयर का प्राइस बढ़ने से होने वाली आय
  • डिविडेंड से प्राप्त आय
  • म्यूच्यूअल फंड से प्राप्त आय
  • रियल एस्टेट से प्राप्त आय
  • गोल्ड निवेश से प्राप्त आय
  • फ्लैट/बिल्डिंग के किराए से प्राप्त आय
  • क्रिप्टो करेंसी निवेश से प्राप्त आय
  • सिक्योरिटी, बांड, डिबेंचर आदि से प्राप्त आय

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4. सरलीकरण

सरलीकरण का मतलब है दिखावे से दूर रहना और फालतू के खर्चों को कम करके सिर्फ आवश्यक जरूरतों के साथ जीवन यापन करना। सरलीकरण यानी Simplification भी नेट वर्थ का बहुत महत्वपूर्ण पार्ट है, आप सरलीकरण का पालन करके कम नेट वर्थ में भी वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं।

इसे हम अभी थोड़ी देर में सरलीकरण से वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें एक छोटी सी कहानी के माध्यम से विस्तार से समझायेंगे

अपनी नेट वर्थ कैसे पता करें?

अपनी नेट वर्थ पता करने के लिए अपनी कुल संपत्ति में से कुल देनदारी यानी अपने खर्च और कर्ज को घटा दे और फिर जितने रुपये बचते हैं, वही आपकी नेट वर्थ होती है। संपत्ति और देनदारी को विस्तृत रूप से निम्न प्रकार से समझ सकते हैं

संपत्ति

आय के निम्नलिखित श्रोत/तत्व संपत्ति के अंतर्गत आते हैं

  • जमा पूंजी
  • सोना चांदी के गहने या अन्य जेवरात
  • घर, मकान/फ्लैट, जमीन, कार और बाइक आदि का तत्कालिक मूल्य
  • मंथली सैलरी या वार्षिक आय
  • जमीन, फ्लैट आदि से मिलने वाला किराया
  • शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड, LIC, रियल एस्टेट में निवेश आदि

देनदारी

खर्च और कर्ज के निम्न प्रकार देनदारी के अंतर्गत आते हैं

  • कार लोन
  • होम लोन
  • किसी भी प्रकार की EMI यानी लोन क़िस्त और
  • मासिक/वार्षिक घरेलू खर्च आदि

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वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें?

अब आपने संपत्ति, देनदारी, वित्तीय स्वतंत्रता क्या है और इसका नेट वर्थ से क्या संबंध है यह सब अच्छे से जान लिया है। और इससे यह बात एकदम साफ हो गयी है कि नेट वर्थ जितनी ज्यादा होती है वित्तीय स्वतंत्रता भी उतनी ही ज्यादा होती है। तो चलिए अब यह समझते हैं कि वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें

  1. मंथली सैलरी या आमदनी जितनी ज्यादा होगी पैसे बचाने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी। अतः आमदनी बढ़ाने पर फोकस करें और आय के कई श्रोत बनाये
  2. बचत ज्यादा होगी तो आप निवेश भी ज्यादा कर पायेंगे अतः अपने फालतू खर्चों को नियंत्रित करें और ज्यादा पैसा बचाकर ज्यादा निवेश करें
  3. निवेश के अलग अलग प्रकार जैसे शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड, क्रिप्टो करेंसी, गोल्ड, बॉन्ड, डिबेंचर, इंडेक्स फंड, रियल एस्टेट आदि की जानकारी हासिल करें और समझदारी से निवेश करें
  4. सरलीकरण : दूसरों की देखादेखी और होड़ आदि में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए अनावश्यक खर्चे ना करें।

सरलीकरण से वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें?

यदि आप होड़, दिखावे और दूसरों पर बनावटी रौब झाड़ने में विश्वास नहीं करते हैं और आवश्यक मूलभूत जरूरतों के साथ एक सिंपल लाइफ व्यतीत करना चाहते हैं तो आप कम नेट वर्थ में वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं। चलिए हम इसे घनश्याम दास की कहानी से संक्षिप्त में समझते हैं

पाटन नामक एक छोटे से कस्बे में घनश्याम दास नाम का व्यक्ति रहता था। जो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में नौकरी करता था। वे अनावश्यक खर्च बिल्कुल भी नहीं करते थे और होड़ तथा दिखावे से तो कोसों दूर रहते थे

इसीलिए एक अच्छी खासी जॉब होते हुए भी वे एक सेकंड हैंड बाइक से जॉब पर जाते थे। इन्होंने अपनी 25 वर्षों की जॉब के दौरान बचत की रकम से एक 20 लाख रुपये का प्लाट यानी जमीन खरीदा था। जिसे उन्होंने अभी कुछ माह पहले बेच दिया क्योंकि अब उसकी कीमत 1 करोड़ 20 लाख रुपये हो गयी थी

इन्होंने 20 लाख रुपये का एक प्लाट और खरीद लिया और  1 करोड़ रुपए बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए हैं जिनका 7% सालाना ब्याज दर के हिसाब से प्रति माह 55,000 हजार रुपये ब्याज मिलता है। इनका प्रतिमाह 25 हजार रुपये में घर खर्च आराम से चल जाता है और दो तीन माह में 1 बार अपनी पसंदीदा जगह पर घूमने फिरने यानी मौज मस्ती करने भी चले जाते हैं

लेकिन फिर भी इनको प्रतिमाह 25 हजार रुपये (1 करोड़ की एफडी से) बचत भी हो जाती है जिसे ये वापिस बैंक में जमा करा देते हैं। और साथ में एक अन्य 20 लाख रुपये के प्लाट (1 करोड़ 20 लाख में से बचे हुए रुपयों से खरीद हुआ) का भाव भी समय के हिसाब से बढ़ रहा है।

यानी सीधे शब्दों में कहा जाए तो घनश्याम दास अब वित्तीय रुप से स्वतंत्र हो चुके हैं जिन्हें अब मजबूरीवश कोई और काम करने की जरूरत ही नहीं है। चाहे तो अपने शौक के लिए कर सकते हैं

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निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमनें वित्तीय स्वतंत्रता क्या है और वित्तीय स्वतंत्रता कैसे प्राप्त करें के बारे में विस्तार से बताया है। जिसका अनुसरण करके एक आम व्यक्ति भी वित्तीय स्वतंत्र हो सकता है। यानी आज की इस बेरोजगारी और भागदौड़ भरी जिंदगी में पैसे कमाने की चिंता से मुक्त हो सकता है और एक स्वछन्द जीवन जी सकता है

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