Royal enfield जिसे बुलेट के नाम से भी जानते हैं एक ब्रांड के रूप में कैसे स्थापित हुई और इसकी सफलता का क्या राज है जो आज के समय यह इंडिया की नंबर 1 और हर नौजवान की ड्रीम बाइक है
रॉयल एनफील्ड को Power & Adventure के रूप में देखा जाता है और फिल्मों में भी हीरो आदि को रॉयल एनफील्ड चलाते हुए दिखाया जाता है
इसकी एक अलग ही इमेज है जो इसे अन्य सभी मोटरसाइकिलों से अलग करती है लेकिन रॉयल एनफील्ड इतनी सफल कैसे हुई तो चलिए आज हम Royal enfield success story in hindi विस्तार से समझते हैं
बर्बादी से ब्रांड बनने का सफर (Royal enfield success story in hindi)
रॉयल एनफील्ड मूल रूप से ब्रिटिश कंपनी थी इसे एक भारतीय कंपनी आयशर मोटर ने 1994 में खरीदा था रॉयल एनफील्ड बहुत ज्यादा लॉस में चल रही थी इसलिए आयशर मोटर भी इसे संभाल नहीं पाया और लगातार नुकसान होने की वजह से इसे बेचने का निर्णय किया लेकिन इतने लॉस मेकिंग बिजनेस को कोई खरीदार भी नहीं मिल रहा था इसलिए आयशर मोटर रॉयल एनफील्ड को बंद करने की योजना बना रही थी
लेकिन तभी आयशर मोटर के मालिक मिस्टर विक्रम लाल के पुत्र सिद्धार्थ लाल जो एक Passionate Rider थे और रॉयल एनफील्ड के दीवाने थे उन्होंने कंपनी के बोर्ड से इसे बचाने एक चांस मांगा (रॉयल एनफील्ड पहले से ही बर्बाद था इससे बुरा और क्या हो सकता है) यह सोचकर कंपनी ने इसे स्वीकार भी कर लिया
रॉयल एनफील्ड की सफलता और इसके ब्रांड बनने का दौर यही से शुरू हुआ सिद्धार्थ लाल बहुत Focused व्यक्ति थे वे किसी भी काम को ध्यान केंद्रित करके उसे बहुत बारीकी से परखते थे
एक बार दुनिया के दो सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स और वारेन बफ़ेट से उनकी सफलता का राज पूछा गया तो उनका एक ही जवाब था FOCUS
सिद्धार्थ लाल ने पूरा फोकस रॉयल एनफील्ड पर किया
जब मिस्टर सिद्धार्थ लाल 26 वर्ष के थे तभी उन्होंने सोच लिया था कि यदि वे आयशर मोटर के सीईओ बने तो वे अपना पूरा फ़ोकस रॉयल एनफील्ड पर करेंगे
और जब मिस्टर सिद्धार्थ लाल आइशर मोटर के CEO चीफ एक्जक्यूटिव ऑफिसर बने उस समय आइशर मोटर के ट्रेक्टर, ट्रक, फुट वियर, कंसल्टेंसी, गारमेंट्स और मोटर साईकल आदि प्रकार के 15 बिजनेस चलते थे
इनमें से इन्होंने 13 बिजनेस बेचकर अपना पूरा फोकस ट्रक और मोटर साईकल बिजनेस पर किया इसमें भी मुख्य रूप से रॉयल एनफील्ड पर पूरा ध्यान केंद्रित किया
उस समय इतने सारे बिजनेस बंद करके पूरा फोकस बस रॉयल एनफील्ड पर ही करना कोई आसान निर्णय नहीं था लेकिन वे अपनी बात पर अटल रहे और आज रिजल्ट आपके सामने है
उनका मानना था कि बहुत सारे औसत बिजनेस करने से अच्छा है थोड़े ही बिजनेस पूरे फोकस से किये जायें और उन्हें Market leader बनाया जाए
महत्वपूर्ण तकनीकी परिवर्तन (Technical changes in royal enfield)
जैसा कि पहले बताया मिस्टर सिद्धार्थ लाल खुद एक पैशनेट राइडर हैं इसलिए इन्होंने रोयल एनफील्ड में तकनीकी परिवर्तन करने से पहले खुद इसे हजारों किलोमीटर चलाया और इसकी Strength & Weakness की पहचान करी और इस बात का गहराई से रिसर्च किया कि आज की जनरेशन और एक राइडर को बाइक में क्या चाहिए होता है
Mr Sidharh lal ने ब्रिटिश स्थित Cranfield university से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट किया था इस बात का उन्हें रॉयल एनफील्ड में तकनीकी परिवर्तन करने में बहुत फायदा मिला
इन्होंने रॉयल एनफील्ड में कमजोरियों की पहचान की और गियर प्लेट जो पहले राइट साइड में होती थी उसे लेफ्ट साइड में शिफ्ट किया इंजिन में भी बहुत सारे इम्प्रूवमेंट किये और लुक पहले जैसा ही सेम विंटेज लुक रखा
2000 से 2004 तक इन्होंने चेन्नई में रहकर ही इस प्रोजेक्ट पर काम किया जहां रॉयल एनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी है कस्टमर्स को रॉयल एनफील्ड में ये Technical changes बहुत पसंद आये और यही से रॉयल एनफील्ड सफलता की और अग्रसर हुई
रॉयल एनफील्ड बिजनेस की सफलता (Royal enfield’s growth)
रॉयल एनफील्ड का लुक इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसे पॉवरफुल और एडवेंचर के रूप में देखा जाता है और जिन व्यक्तियों को रॉयल एनफील्ड के बारे में कोई तकनीकी नॉलेज नहीं है और यहां तक कि उन्हें यह चलानी भी नहीं आती है वे भी रॉयल एनफील्ड खरीदने की चाहत रखते हैं
जब मिस्टर सिद्धार्थ लाल ने रॉयल एनफील्ड जॉइन की थी उस समय कंपनी की हर महीने 6000 बाइक बनाने की क्षमता थी और हर महीने लगभग 2000 से कम बाइक ही बिक पाती थी
लेकिन आज मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी बढ़ाने के बाद भी दो से तीन महीने का वेटिंग पीरियड आम बात है अब रॉयल एनफील्ड की मार्केट में डिमांड पूरी करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी बढ़ाने का चैलेंज है
आयशर मोटर की कमाई प्रमुख रूप से रॉयल एनफील्ड से ही होती है आयशर मोटर का शेयर प्राइस 2003 में 8 रुपये था और आज इसका शेयर प्राइस 2300 रुपये है यानी आयशर मोटर ने 17 वर्षों में 33000 % का रिटर्न दिया है
Note :- शेयर प्राइस आयशर मोटर के शेयर स्प्लिट होने के बाद का है क्योंकि एक समय आयशर मोटर का शेयर प्राइस 27000 रुपये पहुँच गया था तो कंपनी ने 1 शेयर के बदले 10 शेयर इशू करके शेयर स्प्लिट किया है
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प्रतिस्पर्धा एवं विज्ञापन (Royal enfield Competitors & Advertising)
बाइक सेगमेंट में रॉयल एनफील्ड ने अपना पूरा फोकस मिड साइज सेगमेंट (250-750 CC) पर किया है यदि प्रतिस्पर्धा की बात की जाए तो बजाज यामाहा आदि ने रॉयल एनफील्ड को टक्कर देने की कोशिश की है लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए और
आज के समय Mid size segment में रॉयल एनफील्ड का 90 प्रतिशत मार्केट शेयर है सीधे शब्दों में कह सकते हैं आज मिड साइज बाइक सेगमेंट में रॉयल एनफील्ड यानी बुलेट ही मार्केट लीडर है
मिस्टर सिद्धार्थ लाल ने रॉयल एनफील्ड के ब्राण्ड बिल्डिंग और इसकी इमेज पर खास ध्यान दिया है और इसे एक एडवेंचरस मोटरसाइकिल के रूप में प्रमोट किया है
इंडियन आर्मी 1955 से पेट्रोलिंग (पहरेदारी) के लिए रॉयल एनफील्ड यानी बुलेट ही इस्तेमाल करती आई है इसलिए रॉयल एनफील्ड को पॉवरफुल सिंबल के रूप में देखा जाता है
रॉयल एनफील्ड राइडर्स के लिए Himalayn Odyssey, Ridermania जैसे बहुत सारे Events & Adventures trip आयोजित करती है जिनमें Bullet lover’s पार्टिसिपेट करते हैं
रॉयल एनफील्ड के बहुत सारे राइडर्स क्लब हैं जिनमें यह कई प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित करती है इस प्रकार रॉयल एनफील्ड ने अपना Loyal fan base तैयार किया है
रॉयल एनफील्ड को Tv आदि पर कभी भी Highly Advertise नहीं किया गया है और ना ही इसकी कभी जरूरत पड़ी क्योंकि इसकी इमेज ही इस प्रकार की बनाई गई है कि जिस व्यक्ति को रॉयल एनफील्ड चलानी भी नहीं आती वह भी इसे खरीदने की चाहत रखता है
इसलिए रॉयल एनफील्ड को विज्ञापन के लिए कभी किसी क्रिकेटर और एक्टर आदि की जरूरत ही नही पड़ी
वैश्विक विस्तारीकरण (Global expansion of Royal enfield)
आज रॉयल एनफील्ड भारत के अलावा दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों में बेची जाती है रॉयल एनफील्ड का लेटेस्ट मॉडल Continental Gt अंतराष्ट्रीय बाजार को ध्यान में रखकर ही लॉन्च किया गया है इसे लांच करने से पहले सिद्धार्थ लाल ने इसे गोआ से मंगलोर तक खुद ही चलाकर परीक्षण किया था
राइडर्स को बाइक में क्या चाहिए होता है इस बात का मिस्टर सिद्धार्थ लाल खास ध्यान रखते हैं और इसमें सुधार करने का वे हर संभव प्रयास करते हैं
आयशर मोटर के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, रॉयल एनफील्ड के एक्स सीईओ मिस्टर सिद्धार्थ लाल को रॉयल एनफील्ड को बचाने का एक चांस मिला था जिसमें वे खरे उतरे हैं और रिजल्ट आपके सामने है और अब इनका पूरा फोकस इसे विश्व स्तर पर ब्रांड बनाने पर है
शुरुआत में जब बात रॉयल एनफील्ड को बचाने की थी और इसकी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी चेन्नई में थी तो इन्होंने 4 वर्ष चेन्नई में रहकर ही इस प्रोजेक्ट पर काम किया था और अब बात इसे विश्व स्तर पर ब्रांड बनाने की है तो इसके लिए वे हाल ही में लंदन शिफ्ट हुए हैं वहां एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेन्टर शुरू किया और पूरा फोकस इंजिन के डेवलपमेंट और इम्प्रूवमेंट पर है
(मिस्टर सिद्धार्थ लाल ने हाल ही में विनोद दसारी को रॉयल एनफील्ड का नया सीईओ नियुक्त किया है विनोद दसारी ने मिस्टर सिद्धार्थ लाल की जगह ग्रहण की है और मिस्टर सिद्धार्थ लाल अब रॉयल एनफील्ड में मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम करेंगे)
फिलहाल कंपनी पर किसी प्रकार का कर्ज नहीं है और यह बिना डेब्ट के निरंतर आगे बढ़ रही है
Conclusion
इस पोस्ट में रॉयल एनफील्ड के सफलता की कहानी विस्तार से बताई गई है कि किस प्रकार आइशर मोटर के मालिक मिस्टर रतन लाल के पुत्र Mr Sidharth lal को रॉयल एनफील्ड को बचाने का एक चांस मिला था और फिर उन्होंने अपने Focus & Passionate rider के दम पर Royal enfield को एक क्रेज बना दिया इंडिया के साथ विश्व स्तर पर इसकी एक खास इमेज बनाई और इसे फर्श से अर्श तक पहुँचा दिया
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मेरा नाम मनदीप कुमार है
मुझे बिजनेस और शेयर बाजार का कई वर्षों का अनुभव है और पैसे से पैसे बनाना मैंने बहुत गहराई और मेहनत से सीखा है जिसे मैं इस ब्लॉग में आपके साथ साझा करता हूं अतः पैसे की समझ के लिए हमारे ब्लॉग से जरूर जुड़े