Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti | सरकार बहुत सारे रुपिये छाप के सबको अमीर क्यों नही बनाती

Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti ? और सबको अमीर क्यो नही बना देती ? जिससे देश मे कोई भी गरीब नही रहेगा ऐसा सवाल कभी तो आपके मन जरूर आया होगा

हर साल कितने लोग भूख से मर जाते हैं बहुत से लोगो के पास अपना घर नही है फुटपाथ पर सोते हैं और कितने ही लोग थोड़े से रुपये कमाने के लिए अपने घर परिवार से दूर रहते हैं अधिकतर किसान कर्ज में डूबे रहते हैं आत्महत्या तक कर लेते हैं

देखिये ये सब सुनकर आप का भी मन बहुत दुखी होता होगा सरकार पर गुस्सा आता होगा और सोचते होंगे कि आखिर sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti और क्यो नही करती देश की गरीबी दूर तो आइए इसे बिल्कुल आसान भाषा समझते हैं

Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti – सरकार खूब सारा रुपिया क्यो नहीं छापती है

मान लेते हैं एक देश X में 5 आदमी रहते हैं और उसमें बस 5 kg आलू उगाए जाते हैं और कुछ नही होता और अभी इस देश मे 10 – 10 रुपये के पांच नोट छप के आये हैं

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अभी एक आदमी के पास 2 नोट हैं और तीन आदमियों के पास एक एक नोट है और पांचवें आदमी के पास कुछ भी नही है मान लेते हैं आलू का भाव दस रुपिये kg है

तो अभी पहला आदमी जिसके पास दस दस के 2 नोट हैं 2 kg आलू खरीद सकता है और बाकी 3 जिनके पास एक एक नोट है एक एक kg आलू खरीद सकते हैं और पांचवा आदमी बेचारा खरीद ही नही सकता क्योंकि उसके पास नोट ही नही है अब देखिए यदि

स्थिती 1 : पांचवें आदमी जिसके पास एक भी नोट नही है उसे वैसे ही दस दस के 50 नोट छाप के दे दिये जाते हैं और अब देखिए दुकानदार के पास पहले वाले कोई दो आदमी जाते हैं और दुकानदार से 10 रुपए kg के भाव से एक एक kg आलू देने के लिए बोलते हैं इसी समय और वो पांचवा आदमी जिसके पास बहुत सारे नोट हैं वह भी वहाँ पर आ जाता है और दुकानदार से 10 kg आलू देने के लिए बोलता है – Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti

लेकिन दुकानदार के पास तो बस 5 kg आलू ही हैं अब सीधी सी बात है दुकानदार उसे ही आलू देगा जो ज्यादा भाव पर खरीदेगा क्योंकि दुकानदार तो बैठा ही ज्यादा से ज्यादा फायदा कमाने के लिए है इस प्रकार महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी और जरूरी नही की सभी को आलू मिल ही जाए

स्थिती 2 : यदि सभी आदमियों और दुकानदार को भी बहुत सारे नोट छाप के दे दिए जाएं तो अब दुकानदार आलू देगा ही नही क्योंकि उसके पास भी पहले से ही बहुत सारे नोट हैं

अब एक तरह से कहा जाए तो नोट का कोई महत्व ही नही रह गया वो बस एक कागज का टुकड़ा मात्र रह गया है अब दुकानदार उसे ही आलू देगा जो उसे कोई ऐसी चीज देगा जो उसके काम आ सके क्योंकि नोट तो अब सभी लिए घूम रहे हैं उनकी कोई Value नही रही

इसलिए सरकार बहुत सारा पैसा नही छाप सकती क्योंकि इससे महँगाई कई गुना बढ़ जाएगी और हमारे देश का शेयर मार्केट भी धड़ाम से नीचे आ गिरेगा एक तरह से कहा जाए तो अर्थव्यवस्था तहस नहस हो जाएगी और लोग सामान के बदले सामान ही लेंगे

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बहुत पहले जब नोट बने भी नही थे तब ऐसा ही होता था यानी सामान के बदले सामान तब कोई आदमी किसी दूसरे आदमी को गेहूं चावल दाल आदि तभी देता था जब वो उसे उसकी जरूरत की कोई वस्तु कपड़ा गाय भैस सोना जवाहरात आदि देते थे

दो देश ऐसी गलती कर चुके हैं – Currency inflation effects

बहुत समय पहले प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब जर्मनी पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया था तब उसने बहुत सारे रुपिये छापकर अपना कर्ज उतारने की सोची और इसका परिणाम ये हुआ कि वहां महंगाई कई हजार गुना बढ़ गयी थी – Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti

जिम्बाब्वे भी ये गलती कर चुका है जिम्बाब्वे का तो ये हाल हुआ कि जिम्बाब्वे के 25 मिलियन डॉलर अमेरिका के एक डॉलर के बराबर हो गए यानी करोडों गुना महँगाई बढ़ गयी लोगो को अंडे और ब्रेड खरीदने के लिए भी बैग भर भर के रुपये यानी डॉलर लेके जाने पड़ते थे

कुछ साल पहले वेनेजुएला का भी यही हाल हुआ था

रुपिये की कीमत कैसे तय होती है – How to decide rupee value

तो आप ने देखा कि कोई भी देश ऐसे ही बहुत सारे नोट छापकर अमीर नही हो सकता बल्कि इससे तो पूरा आर्थिक संतुलन ही बिगड़ जाता है और रुपियो की कोई वैल्यू नही रह जाती वे तो बस कागज के टुकड़े मात्र रह जाते हैं

हमारे हर एक नोट पर भारत सरकार के गवर्नर के हस्ताक्षरित “मैं धारक को ..रुपये अदा करने का वचन देता हूं” लिखा होता है इसका मतलब होता है कि आप जितने रुपिये का नोट है उतने रुपिये की कीमत का कोई भी सामान खरीद सकते हो इसके लिए आप को कोई भी दुकानदार या व्यक्ति मना नही कर सकता लेकिन ये कीमत

How to decide value of rupee

यानी इतने रुपये से इतना सामान मिलेगा कैसे होती है

देखिए असल मे नोट की कोई कीमत नही होती बल्कि कीमत होती है सामान और सर्विस की किसी भी देश मे कितने रुपये छापने हैं ये देश की सरकार सेंट्रल बैंक GDP और विकास दर से तय किया जाता है हमारे देश मे जितना भी समान उत्पादित होता है उसके बराबर कीमत की प्रेजेंट करेंसी उपलब्ध होती है – Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti

कोई देश जितना ज्यादा समान उत्पादित और निर्यात करता है उसकी करेंसी उतनी ही मजबूत होती है और जो देश जितना ज्यादा आयात करता है उसकी करेंसी उतनी ही कमजोर होती है

और हां एक बात और दूसरे देशों को भी हम बहुत सारे रुपिये छाप के नही दे सकते तो आखिर अंतराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की करेंसी महँगी सस्ती कैसे decide होती है आइये इसे सिंपल तरीके से डॉलर के उदाहरण से समझते हैं

डॉलर के मुकाबले रुपिया कम ज्यादा क्यो होता है – Why fluctuate rupee price

जब दूसरे देशों से सामान आयात करते हैं तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर हम रुपियो में भुगतान नही कर सकते काश ये देश रुपियो में भुगतान स्वीकार कर लेते तो हम बहुत सारा रुपया छाप कर उन्हें दे देते लेकिन वास्तव में ऐसा नही होता

हमें डॉलर यूरो या संबंधित देश की मुद्रा में भुगतान करना होता है और हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है जिसे forgien reserve यानी विदेशी मुद्रा भंडार कहा जाता है – Sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti

जिस देश का विदेशी मुद्रा भंडार जितना ज्यादा होता है उस देश की मुद्रा और अर्थव्यवस्था भी उतनी ही मजबूत होती है आयात और निर्यात में संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक होता है नही तो देश के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाता है और विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है जिसे Current account deficit (CAD) यानी चालू खाता घाटा कहते हैं

लेकिन हम दूसरे देशों को भुगतान करने के लिए डॉलर लाये कहां से हमारे देश को डॉलर प्राप्त होने के प्रमुख प्रकार इस तरह से हैं

  1. निर्यात – यानी जब हम दूसरे देशों को सामान बेचते हैं तो हमें बदले में डॉलर प्राप्त होता है
  2. उधोग धंधे (फैक्टरियां) – जब दूसरे देश हमारे देश मे अपने उधोग धंधे यानी फैक्टरियां लगाते हैं तो हमें डॉलर प्राप्त होते हैं
  3. शेयर मार्केट – जब दूसरे देश हमारे Share market में निवेश करते हैं तो हमें डॉलर प्राप्त होता है
  4. विदेशों में कमाने वाले भारतीय – दूसरे देशों में कमाने वाले हमारे भारतीय नागरिक जब अपने देश मे डॉलर भेजते हैं तो भी हमें डॉलर प्राप्त होते हैं

इस प्रकार हमारे पास डॉलर जितना ज्यादा होगा रुपिये की कीमत भी उतनी ही ज्यादा होगी और डॉलर जितना काम होगा रुपये की कीमत भी उतनी ही कम होगी

जिस प्रकार हम अपने घर मे इमरजेंसी के लिए पैसा और सोना रिज़र्व रखते हैं उसी प्रकार सरकार भी आर्थिक संकट से निपटने के लिए सोना कन्वर्टेबल फॉरेन करेंसी और स्पेशल डाइंग एक्ट विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में रिज़र्व रखती है

आमतौर पर जिन देसो का निर्यात ज्यादा होता है उनका रिज़र्व भी ज्यादा होता है

विदेशी मुद्रा भंडार का नियंत्रण और रखरखाव रिज़र्व बैंक – RBIके माध्यम से होता है इसके लिए वो समय समय पर आंकड़े भी जारी करती है

Conclusion – sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti

आशा करते हैं कि अब आप को sarkar jyada rupiye kyo nahi chhapti है और सभी को अमीर क्यो नही बनाती है अच्छे से समझ आ गया होगा यदि आप को ये जानकर इंटरेस्टिंग लगा तो इसे अभी दोस्तों के साथ व्हाट्सएप और फेसबुक पर शेयर जरूर करे धन्यवाद

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