SEBI new margin rules in hindi 2020 | सेबी के नए मार्जिन रूल फायदा या नुकसान

सेबी के नए मार्जिन नियम अपडेट से प्रत्येक ट्रेडर कंफ्यूज है और शेयर मार्केट से जुड़ा हर व्यक्ति Sebi new margin rules 2020 को लेकर परेशान है आखिर सेबी के नये मार्जिन नियम में क्या बदलाव हुआ है और इससे आपको क्या फायदे हैं और क्या नुकसान हैं चलिये ये सब विस्तार से समझते हैं

सेबी के नए नियम अपडेट (फायदा या नुकसान)

इमेजिन कीजिए आपके पास 50,000/- रुपये की एक बाइक है और आप इसे बेचना चाहते हैं एक दूसरा व्यक्ति (खरीदार) आपकी बाइक को 50,000/- रुपये में खरीदने के लिए तैयार भी है लेकिन सरकार बीच मे आ जाती है और बोलती है कि आप इसे तभी बेच सकते हैं जब आपके पास बाइक की वैल्यू का 20 % कैश यानी 10,000/- रुपये आपके बैंक अकाउंट में हो

तो जायज बात है कि यह आपको बहुत बुरा लगेगा क्योंकि जब विक्रेता राजी है खरीदार राजी है तो फिर अतिरिक्त 10,000 रुपये आपके बैंक खाते में होने से किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए

बिल्कुल ऐसे ही सेबी के नए नियम अपडेट के अनुसार यदि आपके पास कुछ शेयर (होल्डिंग) हैं और आप इन्हें बेचना चाहते हैं तो इन्हें बेचने के लिए शेयर की कुल वैल्यू का 20 % कैश आपके डिमैट अकाउंट में होना जरूरी कर दिया गया है

सेबी ने ऐसे ही बहुत से रूल अपडेट किये हैं जो देखने मे बिल्कुल बकवास प्रतीत होते हैं और किसी भी एंगल से आपको फायदे वाले नहीं लग रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि ये सेबी के द्वारा बहुत सोच विचार कर लिए गए निर्णय हैं और आपके हित में हैं लेकिन किस प्रकार तो चलिए ये सब अच्छे से क्लियर करते हैं

Sebi new margin rules in hindi 2020

Sebi new margin rule in hindi 2020

हाल ही में अपडेट किये गए सेबी के नए मार्जिन रूल 2020 के अनुसार जो प्रमुख बदलाव किए गए हैं वे इस प्रकार हैं

1. शेयर खरीदने और बेचने के लिए लीवरेज में कमी

2. Pledge share सीधे एक्सचेंज के नियंत्रण में

3. Intra day profit को same day यूज़ नहीं कर पाएंगे

4. सोमवार को खरीदे गए शेयर गुरुवार को यानी T+2 Settlement time के बाद ही बेच पाएंगे

5. शेयर बेचने के लिए भी 20 % कैश डिमैट अकाउंट में जरूरी

चलिये इन्हें एक एक करके विस्तार से समझते हैं

# 1. लीवरेज में कमी (Max 5X leverage)

लीवरेज – यदि आपके डिमैट अकाउंट में 100 रुपये हैं और आप Intra day trading में शेयर खरीदते हैं तो आप मात्र 100 रुपये से 1000 से 5000 रुपये तक के शेयर खरीद सकते हैं यानी आप के पास जितने रुपये हैं उससे 10 20 50 कई गुना शेयर खरीद सकते हैं ब्रोकर के द्वारा प्रदान की जाने वाली यह सुविधा लीवरेज कहलाती है

पहले अलग अलग ब्रोकर अपने हिसाब से कई गुना तक लीवरेज प्रदान करते थे लेकिन अब सेबी के नए नियमों के अनुसार Intra day trading में शेयर खरीदने के लिए आपको अधिकतम 5 गुना लीवरेज ही मिल सकेगा चाहे आपका डिमैट/ट्रेडिंग अकाउंट किसी भी ब्रोकर के पास हो

सीधे तौर पर देखा जाए तो सेबी का यह नया नियम ट्रेडर्स के लिए नुकसान वाला प्रतीत होता है क्योंकि अब इससे ट्रेडर कम रुपये में ज्यादा शेयर नहीं खरीद पाएंगे और आपके मुनाफा कमाने के चांसेस भी कम हो जाएंगे लेकिन इसके इम्प्लीमेंट के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है जिसका मैन मोटो आपके पैसे की सुरक्षा और आपको बर्बाद होने से बचाना है

              सेबी ने ऐसा क्यों किया

अभी हाल ही में कुछ समय पहले karvy stock broker के बर्बाद होने और इसमे निवेशकों के पैसे डूबने के कारण ही सेबी ने यह नया रूल इम्प्लीमेंट किया है यदि आप शेयर मार्केट में एक्टिव रहते हैं तो इस घटना से अच्छे से वाकिफ होंगे

देखिए मार्जिन दो प्रकार का होता है

  1.  स्टिपुलेटेड मार्जिन – यह मार्जिन स्टॉक एक्सचेंज (Nse & Bse) द्वारा Decide किया जाता है और स्टॉक की Volatility के आधार पर निर्धारित होता है जो स्टॉक कम Voletile होता है यानी ऊपर नीचे कम होता है उसमें कम मार्जिन की आवश्यकता होती है और आपको ज्यादा लीवरेज मिल जाता है और जो शेयर ज्यादा Voletile होता है उसमें ज्यादा मार्जिन की आवश्यकता होती है और आपको कम लीवरेज मिल पाता है जैसे फिलहाल Reliance Industries (RIL) के लिए एक्सचेंज ने 22 प्रतिशत मार्जिन निर्धारित किया है यानी अभी RIL के एक शेयर का प्राइस यदि 100 रुपये है तो Intra day में आपको रिलायंस का एक शेयर खरीदने के लिए कम से कम 22 रुपये तो मार्जिन के रूप में देने ही पड़ेंगे
  2. पूल अकाउंट –  यह स्टॉक ब्रोकर का अकाउंट होता है इसी बेस पर ये आपको कई गुना लीवरेज प्रदान कर पाते हैं लेकिन ऐसा करने से उन क्लाइंट्स का पैसा भी रिस्क पर लग जाता है जो लीवरेज लेते ही नहीं हैं और कई बार तो ब्रोकर ही डूब जाता है

कार्वी स्टॉक ब्रोकर के बर्बाद होने का यही कारण था चलिये इसे एक उदाहरण से समझते हैं

मान लेते हैं एक शेयर xyz है जिसे खरीदने के लिए एक्सचेंज ने 20 % मार्जिन decide किया हुआ है अब दो क्लाइंट्स जिनका ब्रोकर A के पास अकाउंट है xyz के एक एक शेयर खरीदते हैं लेकिन पहले क्लाइंट को मार्जिन की आवश्यकता नहीं है इसलिए वह पूरे 100 रुपये ब्रोकर को दे देता है और एक शेयर खरीद लेता है और दूसरा क्लाइंट 20 रुपये मार्जिन देता है और 1 शेयर खरीद लेता है

देखिये अब ब्रोकर को दो शेयर के लिए एक्सचेंज को 40 रुपये ही pay करने हैं लेकिन ब्रोकर के पास 120 रुपये हैं इसलिए वह दूसरे क्लाइंट को बोल सकता है कि आप सिर्फ 1 रुपये मार्जिन के रूप में दे दो बाकी के 19 रुपये हम दे देते हैं और एक और शेयर खरीद लो

और ब्रोकर एक्सचेंज को बोल देता है कि 20 रुपये पहले वाले क्लाइंट के हैं 20 रुपये दूसरे क्लाइंट के हैं और 20 रुपये तीसरे क्लाइंट के हैं और अभी भी ब्रोकर के पास 111 रुपये बच जाते हैं जिन्हें वह Other clients को मार्जिन के रूप में यूज़ कर सकता है

इस प्रकार ब्रोकर सबसे पहले वाले क्लाइंट जिसने मार्जिन नहीं लिया था और 1 शेयर खरीदने के लिए पूरे 100 रुपये pay किये थे उसके रुपियों को दूसरे बहुत सारे क्लाइंट्स को मार्जिन के रूप में देने के लिए उपयोग में लेता है

सीधे शब्दों में ब्रोकर जो क्लाइंट्स मार्जिन नहीं लेते हैं और शेयर खरीदने के लिए पूरे पैसे का भुगतान करते हैं उनके पैसे को भी रिस्क पर लगा देता है

यहां एक बात ध्यान देने वाली है क्योंकि अब आप सोच रहे होंगे कि ब्रोकर ऐसा क्यों करता है तो इसका कारण है इसके पीछे ब्रोकर का फायदा छिपा होना क्योंकि ब्रोकर ऐसा नहीं करता है तो सिर्फ एक क्लाइंट (ट्रेडर) ही शेयर खरीद पायेगा और उसे बस एक ही क्लाइंट पर ब्रोकरेज मिलेगा लेकिन ब्रोकर ऊपर बताये अनुसार एडजस्ट कर लेता है तो बहुत सारे क्लाइंट्स (ट्रेडर्स) शेयर खरीद सकते हैं और उसे इन सारे क्लाइंट्स पर भी ब्रोकरेज मिल जाता है

अब से पहले ब्रोकर्स में ज्यादा से ज्यादा लीवरेज प्रदान करके क्लाइंट (ट्रेडर्स) को आकर्षित करने की होड़ लगी हुई थी इस नियम के पीछे सेबी का प्रमुख लक्ष्य ब्रोकर्स द्वारा प्रदान की जाने वाली इस बेशुमार लिवरेज पर अंकुश लगाना है

चलिये इसे और भी आसान भाषा में समझते हैं फिर आपको अच्छे से पता चल जाएगा कि यह किस प्रकार आपके हित में है

एक ब्रोकर बोलता है आप बस 10 रुपये का मार्जिन दो और 100 रुपये के शेयर खरीद लो यानी 90 रुपये वह ब्रोकर आपको लीवरेज देता है और 100 रुपये के शेयर खरीदने के लिए आपको बस 10 रुपये देने पड़ते हैं

ऐसे ही कोई दूसरा ब्रोकर आपसे सिर्फ 1 रुपिया मार्जिन के रूप में लेता है और आपको 99 रुपये लीवरेज का ऑफर देता है इस प्रकार आप मात्र 1 रुपये से 100 रुपए का शेयर खरीद सकते हैं और यदि शेयर 1% भी ऊपर चला जाता है तो आपको 1 रुपये का फायदा हो जाता है इससे आप बहुत खुश होते हैं और सोचते हैं कि यह ब्रोकर तो बहुत अच्छा है क्योंकि आप ने सिर्फ 1 रुपिया लगाकर ही 1 और रुपिया कमा लिया लेकिन यदि शेयर 1 प्रतिशत नीचे चला जाता है तो आप अपना 1 रुपिया गंवा भी देंगे

और यदि अब यह शेयर और भी नीचे जाता है तो ब्रोकर का नुकसान होता है क्योंकि आपने तो 1 ही रुपिया लगाया था जो गंवा दिया

देखिये यहां बात सिर्फ एक रुपये की है लेकिन जब यह अमाउंट बड़ी होती है और किसी पर्टिकुलर शेयर पर बहुत सारे लाखों ट्रेडर्स ने पैसा लगाया होता है और किसी कारणवश जब वह शेयर ज्यादा गिर जाता है तो फिर इतने बड़े नुकसान की भरपाई कर पाना ब्रोकर की क्षमता से भी बाहर हो जाता है और ब्रोकर डूब जाता है और साथ ही साथ ऐसा करने से उन क्लाइंट्स का पैसा भी डूब जाता है जिन्होंने लीवरेज लिया भी नहीं है

अब आपको समझ आ गया होगा कि सेबी ने यह नियम ठीक बनाया है और इससे आप ही को फायदा है

# 2. Pledge share पर सीधे एक्सचेंज का नियंत्रण

अब से पहले आप Intra day ट्रेडिंग के लिए दो प्रकार से मार्जिन ले सकते थे एक तो जितना मार्जिन एक्सचेंज ने निर्धारित किया है उतने पैसे का भुगतान करके और दूसरा आप के पास पहले से उपलब्ध शेयर को गिरवी रखकर यानी pledge करके और आपके ये प्लेज्ड शेयर ब्रोकर के पूल अकाउंट में रहते थे यानी ब्रोकर में पास गिरवी रहते थे

ऐसे में ब्रोकर की मनमानी चलती थी और वह इन प्लेज्ड शेयर से बहुत सारे क्लाइंट्स को बहुत सारा मार्जिन देता था और इस करने से कई बार क्या होता है कि जब कोई बड़ा क्लाइंट करोड़ो का डिफॉल्ट कर देता है और वह उतने रुपियों का भुगतान नहीं कर पाता है तो वह भुगतान ब्रोकर को करना होता था लेकिन यदि डिफ़ॉल्ट ज्यादा ही बड़ा है तो इतना भुगतान ब्रोकर भी नहीं कर पाता और वह डूब जाता है और परिणामस्वरूप ऐसे में जिन क्लाइंट्स का उस ब्रोकर के पास अकाउंट है उनका पैसा भी डूब जाता है

लेकिन अब सेबी के नए नियम के अनुसार आपके शेयर ब्रोकर के पास प्लेज ना रहकर Clearing exchange के पास गिरवी रहेंगे जिससे यदि कोई क्लाइंट डिफ़ॉल्ट करता है तो इससे ब्रोकर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आपका पैसा सुरक्षित रहेगा इससे सिर्फ उसी पर्टिकुलर क्लाइंट को नुकसान होगा जिसने डिफ़ॉल्ट किया है इसलिए सेबी का यह नया नियम भी आपके हित मे है

# 3. सोमवार को खरीदे गए शेयर गुरुवार को यानी T+2 सेटलमेंट टाइम के बाद बेच पाएंगे

सेबी के नए नियम के अनुसार यदि आपने आज सोमवार को कोई शेयर खरीदे हैं तो वे T+2 सेटलमेंट टाइम के अनुसार बुधवार शाम को आपके अकाउंट में आएंगे और उन्हें गुरुवार को ही बेच पाएंगे

देखिए यह नियम थोड़ा अजीब है लेकिन इससे बचने का तरीका भी सभी बड़े ब्रोकर्स ने पहचान लिया है

जिसके अनुसार मान लेते हैं एक xyz शेयर जिसके लिए एक्सचेंज ने 20 प्रतिशत मार्जिन फिक्स किया हुआ है इसे आप पूरे 100 रुपये देकर (Without margin) Monady को buy करते हैं तो सेबी के नियमानुसार तो आप इसे Thursday को ही बेच पाएंगे लेकिन यदि  आप इसे दूसरे ही दिन यानी tuesday को बेचना चाहते हैं

चूंकि आप ने पूरे 100 रुपये का भुगतान करके यह शेयर खरीदा है और मार्जिन के बस 20 रुपये ही आवश्यक हैं इसलिए ब्रोकर के पास 80 आपकी तरफ से 80 रुपए अतिरिक्त बच जाते हैं तथा खरीदने और बेचने के लिए एक समान मार्जिन की आवश्यकता होती है इसलिए खरीदने और बेचने का मार्जिन 20+20 = 40 काटने के बाद भी ब्रोकर के पास आपकी तरफ से 60 रुपये बच जाते हैं

ब्रोकर एक्सचेंज को बोल देता है कि 20 रुपये मार्जिन monady को खरीदने का और 20 रुपये tuesday को बेचने का है इस प्रकार आप अपने शेयर आसानी से बिना T+2 Cycle के पूरे किये ही पहले ही बेच सकते हैं जिसे ब्रोकर बाद में T+2 Settlement time पर अपने पूल अकाउंट में अपडेट कर देता है

# 4. Intra day profit को same day यूज़ नहीं कर पाएंगे

मान लेते हैं आप Intra day में 20,000 रुपये के शेयर खरीदते हैं और कुछ घंटे या मिनट्स बाद बेच देते हैं जिसमे आपको 1500 रुपये का प्रॉफिट होता है, चूंकि 20,000 रुपये तो आप ही के हैं इसलिए आपको मिल जाते हैं लेकिन जो प्रॉफिट के रूप में 1500 रुपये मिलने हैं वे T+2 Settlement time के बाद मिलेंगे

इसलिए जब आपको प्रॉफिट के रूप में 1500 रुपये मिले ही नहीं हैं तो उन्हें यूज़ कैसे कर सकते हैं इसलिए अब सेबी के New updated rule के अनुसार आप Intra day profit को same day यूज़ नहीं कर पाएंगे

इसलिए Intra day trader के लिए यह जरुर नुकसान वाली बात है लेकिन इससे Long term investor पर कुछ फर्क नही पड़ेगा

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# 5. शेयर बेचने के लिए 20 % कैश जरूरी

सेबी के नए नियमों में यह सबसे ज्यादा Controversy वाला नियम है जिससे सभी निवेशकों और स्विंग ट्रेडर में हड़कंप मचा है

इनका परेशान और गुस्सा होना जायज भी है क्योंकि जब शेयर आप ही के हैं तो फिर उन्हें बेचने के लिए 20 प्रतिशत कैश डिमैट अकाउंट में होना जरूरी क्यो है

ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं तो आपका संपर्क सीधा एक्सचेंज से होता है ब्रोकर बस Intermediate होता है और एक्सचेंज को पता नहीं होता है कि वे शेयर आप ही के हैं यानी आप ही उनके मालिक हैं

इसलिए एक्सचेंज सोचता है कि क्या पता आप Intra day में Short selling कर रहें हो इसलिए वह आपसे मार्जिन के रूप में 20 % कैश मांगता है

लेकिन परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है सभी बड़े ब्रोकर्स ने इस समस्या का हल निकाल लिया है और कुछ Zerodha जैसे ब्रोकर ने तो इसे इम्प्लीमेंट भी कर दिया है जिसे Early pay in system कहते हैं

जिसके अनुसार जब आप अपने शेयर (Holding) बेचते हैं तो ब्रोकर T+2 Settlement time का इंतजार नहीं करता है और एक्सचेंज को तुरंत बता देता है कि आप Intra day or Short selling नहीं कर रहे हैं बल्कि यह आपकी होल्डिंग है जिससे आप अपने Holding शेयर बिना मार्जिन की आवश्यकता के आसानी से बेच सकते हैं

Conclusion

इस पोस्ट में सेबी के सभी नए नियम विस्तार से समझाए गए हैं और बताया गया है कि इनसे आपको कोई नुकसान नहीं है बल्कि ये आप ही के हित मे हैं और आपके पैसे को सुरक्षित रखने के लिए अपडेट किये गए हैं

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2 thoughts on “SEBI new margin rules in hindi 2020 | सेबी के नए मार्जिन रूल फायदा या नुकसान”

  1. मनदीप जी, आपको बहुत बहुत साधुवाद। आप बहुत ही सहज और सरल तरीके से समझा देते हैं। मेरी एक जिज्ञासा है! क्या हम इंट्राडे में किसी शेयर में दोनों तरफ पोजीशन ले सकते हैं क्या! मतलब पहले हम उसे बाय कर लें, रेट चढ़ने पर बेच दें। उसके बाद रेट गिरने लगे, तो उसे शॉर्ट sale कर दें।
    धन्यवाद

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    • सुरजीत जी आपके विचार साझा करने के लिए धन्यवाद तो देखिये सुरजीत जी जहाँ तक मेरा अनुभव है उस हिसाब से गिरते हुए शेयर को खरीदना नहीं चाहिए और ऊपर चढ़ते हुए शेयर को शार्ट नहीं करना चाहिए और खासकर इंट्राडे में तो मार्केट ट्रेंड के विपरीत जाना और भी खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि जब कोई शेयर गिरता है और आप सोचते हैं कि इतना ज्यादा तो गिर चुका है अब इससे ज्यादा और कितना गिरेगा तो देखिए वो इतना ज्यादा गिर सकता है कि जो आपकी सोच से बहुत दूर होगा ठीक उसी प्रकार जब कोई शेयर ऊपर चढ़ता है और आप सोचते हैं कि इतना ज्यादा तो चढ़ गया है अब और थोड़े ही चढ़ेगा तो उसे भी शार्ट करने की कोशिश ना करें क्योंकि वो इतना ज्यादा ऊपर जा सकता है जितना आप सोच भी नहीं सकते और वैसे भी आजकल फ्यूचर ऑप्शन और इंट्राडे में गैम्बलिंग बहुत ज्यादा चलता है ऑपरेटर के द्वारा स्टॉप लॉस हिट कराना आम बात है
      अगर आप पूरी तरह से कॉन्फिडेंट है तो कर भी सकते हैं लेकिन बेहतर यही होगा कि मार्केट ट्रेंड को फॉलो करें तथा शेयर प्राइस के Stable होने और trend reversal का इंतजार करें जल्दबाजी में शार्ट करने की कोशिश ना करें

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