छोड़कर सामग्री पर जाएँ

पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट 101: बजट, बचत और निवेश के सरल तरीके

प्रारंभिक पैराग्राफ: पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट (Personal Finance Management) का मतलब है अपनी आमदनी, खर्च और निवेश को समझदारी से मैनेज करना। सही बजट बनाकर, नियमित बचत और सही निवेश करके आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को पा सकते हैं। खासकर 20-35 की उम्र में, जब नौकरी शुरू होती है और पहली आमदनी आती है, तो पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट सीखना बहुत ज़रूरी है। यह लेख आसान भाषा में बताएगा कि बजट कैसे बनाएँ, पैसे कैसे बचाएँ, निवेश के कौन-कौन से तरीके हैं, ऋण प्रबंधन कैसे करें, आपातकालीन फंड तैयार कैसे करें और टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे करें। अंत में आप वित्तीय अनुशासन से जुड़ी आदतें भी सीखेंगे, ताकि आपकी आर्थिक ज़िन्दगी मज़बूत बने।

बजट कैसे बनाएं

अपने पैसे पर नियंत्रण का पहला कदम है बजट बनाना। जैसा कि इकोनॉमिक टाइम्स के एक लेख में बताया गया है, बजट बनाने से पहले अपनी मासिक आय का अनुमान लगाएं। इसमें सैलरी के साथ बोनस, किराया या निवेश से मिलने वाली आय आदि जोड़ें। उदाहरण के लिए, यदि आपकी सैलरी 50,000₹ है और किराये से 10,000₹ आता है, तो कुल आय 60,000₹ बनेगी।
फिर अपने खर्चों को आवश्यक और अनावश्यक में बाँटें। आवश्यक खर्चों में किराया, बिल, भोजन, ईएमआई आदि आते हैं, जबकि अनावश्यक खर्चों में शॉपिंग, बाहर खाना और मनोरंजन शामिल है। इन दोनों श्रेणियों के हिसाब से सीमित बजट तय करें। आम सलाह है कि कुल आय का कम से कम 20% हिस्सा बचत-निवेश के लिए अलग करें। उदाहरण के लिए, 60,000₹ की आय में से 20% यानी 12,000₹ बचत-निवेश के लिए रखें।
बजट तैयार करने के फ़ायदे भी बताए गए हैं, जैसे कि लक्ष्य तय करना, अनावश्यक खर्च बचना और समय पर बिल भरना। बजट बनाने से पता चलता है कि आप पैसे कहाँ खर्च कर रहे हैं, जिससे खर्चों पर काबू मिलता है। कुल मिलाकर, बजट बनाने से आपको वित्तीय अनुशासन मिलता है और बड़ी जरूरतों के लिए बचत करने में मदद मिलती है।

पैसे बचाने के तरीके

अपने खर्च और बचत को संतुलित करना सीखने से आर्थिक तनाव कम होता है। पैसे बचाने के कुछ पारंपरिक तरीकों में शामिल हैं:

  • गुल्लक: अपने पुराने जमाने के गुल्लक में बचा हुआ छोटा-छोटा पैसे डालें। किराना या पेट्रोल भरवाते समय बचा हुआ राउंड-ऑफ राशि गुल्लक में डाल देना भी अच्छा तरीका है।
  • लिफाफा बजट: महीने की शुरुआत में किराया, राशन और विवेकाधीन खर्च के लिए अलग-अलग लिफाफों में निश्चित राशि रखें और केवल उसी लिफाफे का पैसा खर्च करें। यह पैसे को व्यवस्थित रखता है और बजट तय करने में मदद करता है।
  • बचत खाता: बैंक में जमा होने वाला बचत खाता सबसे सादा बचत साधन है। खरीदारी पर जाते समय ज़रूरत का नकद लेकर जाएँ और अपना डेबिट कार्ड घर पर छोड़ दें, ताकि बाकी पैसा सीधे बचत खाते में चले जाए।
  • फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): यह सुरक्षित निवेश का एक पारंपरिक तरीका है। FD में धन कुछ समय के लिए लॉक हो जाता है, जो आपको लम्बे समय तक सुरक्षा देते हुए ब्याज भी देता है।

इसके अलावा आधुनिक बचत टिप्स भी आज़माएं:

  • खुद को पहले भुगतान करें: महीने की शुरुआत में अपनी बचत के लिए पैसे अलग रखें (Pay Yourself First)। यानि खर्च करने से पहले तय राशि बचत खाते में डाल दें। इससे बाकी खर्च अपने-आप कंट्रोल में रहेगें।
  • अलग बैंक खाते: अलग-अलग उद्देश्यों के लिए खाते बनाएं – एक रोजमर्रा के खर्चों के लिए, एक बचत के लिए, और एक आपातकालीन निधि के लिए। माह की शुरुआत में इन्हें राशि ट्रांसफर कर दें, इससे लक्ष्य साकार करना आसान होता है।
  • ऑटो कटौती (EMI बचत): अपने ईएमआई या ऋण की कटौती को ऑटोमैटिक सेट करें। इससे बिल देर से भरने पर जुर्माना नहीं लगेगा और महीने के अंत में बचे हुए पैसों को बजट करने की आदत बनती है।
  • नियमित निवेश (SIP): हर महीने छोटी-छोटी रकम को SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश करना अच्छा है। लॉन्ग-टर्म निवेश रहित खर्च को रोके रखते हैं और समय के साथ ब्याज भी देता है।

इन तरीकों में अपनी ज़रूरत और सुविधा के हिसाब से चुनें। उदाहरण के लिए, यदि आपको नकद संभालना सहज लगता है तो लिफाफा विधि पसंद आएगी। ध्यान रखें कि बहुत सारा नकद रखने से छूटे लाभ नहीं मिलते। हर विधि के फायदे-नुकसान तौलकर अपनी जीवनशैली के अनुसार सबसे उपयुक्त तरीका चुनें।

निवेश के आसान तरीके

निवेश करना लंबी अवधि की योजना का हिस्सा है और इसे पहले से समझना ज़रूरी है। म्यूचुअल फंड, शेयर, सोना, PPF जैसी कई निवेश योजनाएँ हैं। शुरुआती निवेशकों के लिए SIP (म्यूचुअल फंड के तहत) सरल विकल्प है, क्योंकि आप छोटी राशि से शुरुआत कर सकते हैं। SIP में निवेश करने से आपका पैसा लॉक हो जाता है, जिससे आप अनुशासित होते हैं और टाइम-होराइजन में ब्याज भी मिलता है।
आप शेयर मार्केट में भी निवेश कर सकते हैं। इसके लिए Zerodha जैसी प्लेटफ़ॉर्म की मदद लें, जहां अकाउंट खोलकर सीधे शेयर और म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया जा सकता है। मुख्य बात यह है कि अच्छी रिसर्च करें और जोखिम क्षमता को ध्यान में रखें। जैसे Groww ब्लॉग में सलाह दी गई है, जितनी जल्दी शुरू करेंगे उतना ही लंबी अवधि का लाभ मिलेगा। पहले छोटे लक्ष्य बनाएं और धीरे-धीरे उच्च रिटर्न वाले निवेश की ओर बढ़ें।
निवेश के कुछ टिप्स:

  • विविधीकरण: अपने निवेश को अलग-अलग माध्यमों (शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना, संपत्ति आदि) में फैलाएं।
  • लंबी अवधि का सोचें: बाजार उतार-चढ़ाव वाला हो सकता है, अतः लंबी अवधि में निवेश करने पर धन बढ़ने की संभावना रहती है।
  • नियमित जांच: समय-समय पर अपने निवेश की समीक्षा करें और जरूरत अनुसार सुधार करें।
    जैसा Groww ब्लॉग में बताया गया है, ‘बचत शुरू करने से कभी देर नहीं होती’ और वित्तीय लक्ष्य बनाने से काम आसान हो जाता है। निवेश से संबंधित निर्णय लेने से पहले किसी विशेषज्ञ या विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्म की सलाह लें।

ऋण प्रबंधन कैसे करें

ऋण (Loan) लेना जीवन का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन ऋण प्रबंधन बहुत जरूरी है। ऋण लेते समय हमेशा अपने चुकाने के प्लान पर ध्यान दें। IIFL जैसे वित्तीय संस्थान सलाह देते हैं कि कई ऋणों को एक साथ संभालने में समेकन (Loan Consolidation) सहायक होता है। कई छोटे-छोटे कर्ज़ की जगह एक बड़े (जैसे बैलेंस ट्रांसफर या व्यक्तिगत ऋण) में इकट्ठा करना व्याज बोझ को कम कर सकता है।
ऋण चुकाने के लिए अपने क्रेडिट स्कोर को ध्यान में रखें। समय पर भुगतान करने से क्रेडिट स्कोर बेहतर रहता है, जिससे भविष्य में बेहतर दर पर कर्ज़ मिल सकता है।
ऋण से बचने के लिए सुझाव:

  • वित्तीय अनुशासन: खर्चों पर कटौती करके पहले पुराने कर्ज चुकाएं। आवेग में खर्च करने की बजाय योजना बनाकर खरीदारी करें।
  • नए ऋण से बचें: पहले से लिए ऋणों को चुकाए बिना नए ऋण न लें। नए ऋण लेने से बढ़ती ब्याज समस्या हो सकती है।
  • शेड्यूल बनाएं: प्रत्येक ईएमआई की अंतिम तारीख अपने फोन या कैलेंडर में नोट करें और अलर्ट सेट करें। विलंब शुल्क और खराब क्रेडिट स्कोर से बचने के लिए तय तारीखों से पहले ही भुगतान कर दें।
  • आपातकालीन बचत: एक आपातकालीन फंड होने से अचानक आय रुकने पर आपको कर्ज़ लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

इन तरीकों से आप अपने कर्ज़ का बोझ हल्का कर सकते हैं और आर्थिक तनाव को कम रख सकते हैं।

आपातकालीन फंड तैयार करें

अनहोनी स्थितियों के लिए बचत करना भी जरूरी है। आपातकालीन फंड वह धन है जो आप केवल इमरजेंसी (जैसे बीमारी, नौकरी खोना, आदि) के लिए अलग रखते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फंड में अपने तीन से छह महीने के खर्च बराबर राशि रखें। यानी अगर आपका मासिक खर्च 30,000₹ है, तो कम से कम 90,000₹ से 180,000₹ अज्ञानात फंड में रखें। इस पैसे को किसी आसानी से निकासी योग्य खाते या ऑल्टर्नेटिव (जैसे एक अलग बचत खाता) में रखें। आपातकालीन फंड होने से किसी भी आपदा के समय तत्काल सहायता मिल सकेगी और आपको महंगे कर्ज़ लेने से बचाएगी।

टेक्नोलॉजी आधारित समाधान

आज डिजिटल युग में फ़ाइनेंस मैनेजमेंट के कई ऐप्स और ऑनलाइन टूल्स उपलब्ध हैं। आप बजट ट्रैकिंग और निवेश के लिए ऐप्स (जैसे ET Money, Moneycontrol, Zerodha की Kite ऐप, Groww ऐप) का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये ऐप्स खर्चों पर नजर रखने, निवेश का हिसाब रखने और सेविंग गोल्स सेट करने में मदद करते हैं। RBI के अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क से भी भविष्य में बेहतर पर्सनल फाइनेंस टूल्स की सुविधा मिलेगी।
उदाहरण के लिए, बैंकिंग ऐप में आप अपनी मासिक खर्च की डिटेल देख सकते हैं। Zerodha Varsity में बताया गया है कि ज्यादातर बैंक अब खर्चों का बेसिक एनालिसिस देते हैं, जिससे आप आसानी से ट्रेंड देख सकते हैं।
टेक्नोलॉजी का उपयोग करते समय सुरक्षा का ध्यान रखें: मजबूत पासवर्ड, दो-चरणीय सत्यापन (2FA) और विश्वसनीय स्रोत से ही ऐप डाउनलोड करें। डिजिटल भुगतान और मोबाइल वॉलेट्स से ट्रांज़ैक्शन तेज़ होते हैं लेकिन कभी-कभी धोखाधड़ी का जोखिम भी होता है, इसलिए सतर्क रहें।

वित्तीय अनुशासन बनाए रखें

वित्तीय अनुशासन का मतलब है अपने खर्च और निवेश को नियंत्रित रखना। ऊपर बताए गए सारे उपाय तभी काम करेंगे जब आप पैसे प्रबंधन की आदतों पर दृढ़ रहें। रोजमर्रा की छोटी-छोटी आर्थिक आदतें बनाएं, जैसे बिल समय पर भरना, जरूरत से ज़्यादा क्रेडिट कार्ड पर खर्च न करना और हर माह बचत करना।
जैसा कि Zerodha Varsity में कहा गया है, अपने आय और व्यय को ट्रैक करने से अनावश्यक खर्चों को पहचानना आसान होता है। जब आपकी आय बढ़ेगी तो खर्च भी बढ़ने की उम्मीद होती है (लाइफ़स्टाइल इन्फ्लेशन), लेकिन खर्चों पर नियंत्रण से आप बचत के लक्ष्य नहीं छोड़ेंगे।
वित्तीय अनुशासन बनाने के कुछ टिप्स:

  • एक खर्च डायरी रखें या ऐप में ट्रांज़ैक्शन ट्रैक करें।
  • खरीदने से पहले योजना बनाएं, खरीददारी से पहले लिस्ट बनाएं।
  • बचत के लिए हर महीने एक हिस्सा अलग रखें (खुद को पहले पेमेंट करें)।
  • क्रेडिट कार्ड या लोन का उपयोग सोच-समझकर करें और कोशिश करें समय पर ही चुकता करें।
    इस तरह की अनुशासित आदतें आपको पूरे जीवन वित्तीय दबाव से बचाएंगी और सुकून देंगी।

निष्कर्ष: आप देख सकते हैं कि पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट सिर्फ बढ़िया अकाउंटिंग नहीं है, बल्कि आपके जीवन को सशक्त बनाने का तरीका है। सही बजट, नियमित बचत और समझदारी से निवेश करके आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को पा सकते हैं। छोटे-छोटे कदम (जैसे रोज़ाना खर्च पर नजर, महीने की बचत, समय पर बिल भुगतान) धीरे-धीरे बड़ी सफलता में बदल जाते हैं। याद रखें, वही व्यक्ति सबसे खुश होता है जो खर्च भी करता है और बचत भी करता है। इसलिए अभी से स्मार्ट वित्तीय आदतें अपनाएं और अपने पैसे को काम पर लगाएँ। इस ज्ञान को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें, ताकि वे भी आर्थिक समझदारी से भविष्य बना सकें।

FAQs

  1. पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट क्या है?

    पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट का मतलब है अपनी आमदनी, खर्च, बचत और निवेश को स्मार्ट तरीके से संभालना। इसमें बजट बनाना, बकाया बिलों का भुगतान, आपातकालीन फंड तैयार करना, निवेश करना और कर्ज़ का ध्यान रखना शामिल है। सरल शब्दों में, यह आपकी ज़िन्दगी के वित्तीय सभी पहलुओं को संतुलित तरीके से व्यवस्थित करना है।

  2. बजट कैसे बनाएं?

    बजट बनाने के लिए सबसे पहले अपनी कुल मासिक आय (जैसे सैलरी, किराया आदि) का अनुमान लगाएं। फिर जरूरी खर्च (घर का किराया, खाद्य सामग्री, ईएमआई) और गैर-ज़रूरी खर्च (मनोरंजन, शॉपिंग) अलग करें। हर महीने एक तय राशि बचत और निवेश के लिए अलग रखें (सामान्यतः आय का कम से कम 20%)। इसके बाद बची राशि को विभिन्न खर्चों में बांट दें। शुरुआत में यह कागज़ पर लिखकर या बजट ऐप की मदद से कर सकते हैं। जैसे-जैसे आदत बनेगी, आप बिना टूल के भी मासिक खर्चों को कंट्रोल में रख पाएंगे।

  3. पैसे की बचत कैसे शुरू करें?

    पैसे बचाने के लिए बुनियादी नियम है: खर्च कम करें और बचत ज़्यादा करें। शुरुआत में छोटे-छोटे खर्चों पर ध्यान दें, जैसे बाहर खाने की मात्रा कम करना, लिफाफा बजट अपनाना या रोज़ाना की चाय-नाश्ता में बचत करना। अवांछित चीज़ों पर खर्च न करें और बोनस, गिफ्ट जैसी अतिरिक्त आमदनी को बचत खाते में डाल दें। अपने आप को पहले भुगतान करने की तकनीक आजमाएं – यानी जितना भी पैसा आपको बचत करना है, वह सबसे पहले अलग खाते में डाल दें। बचत के लिए किफायती विकल्प चुनें, जैसे सीधे बैंक FD, PPF या म्युचुअल फंड SIP में निवेश करना। नियमित रूप से छोटे-छोटे बचत के लक्ष्य (जैसे हर महीने 1000₹) रखने से भी बचत की आदत बनती है।

  4. निवेश करने के तरीके क्या हैं?

    निवेश के कई साधन हैं: बैंक की एफडी, PPF, म्युचुअल फंड, शेयर बाजार, सोना, अचल संपत्ति आदि। शुरुआती निवेशकों के लिए म्युचुअल फंड SIP सबसे आसान है, क्योंकि इसमें आप कम रकम से भी शुरुआत कर सकते हैं। SIP में हर महीने की थोड़ी-थोड़ी रकम भेजने से समय के साथ अच्छा रिटर्न मिलता है। शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए Zerodha जैसी ऐप पर ट्रेडिंग अकाउंट खोलें और अध्ययन के बाद स्टॉक्स खरीदें। गोल्ड और अचल संपत्ति जैसी चीज़ों में भी लंबी अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है। निवेश करते समय हमेशा डाइवर्सिफ़िकेशन रखें यानी अपने पैसों को अलग-अलग जगहों पर लगाएँ। निवेश का पैसा कभी जल्दी चाहिए तो नहीं निकालें, लंबी अवधि में सोचें।

  5. आपातकालीन फंड क्या है और इसे कैसे बनाएं?

    आपातकालीन फंड वह बचत है जो अचानक आने वाली आपदाओं (बेरोज़गारी, बीमारी, आकस्मिक खर्च आदि) के लिए रखा जाता है। कोशिश करें कि यह फंड आपके 3-6 महीने के खर्च के बराबर हो। उदाहरण के लिए, यदि आप महीने में 30,000₹ खर्च करते हैं, तो 90,000₹ से 180,000₹ आपातकालीन फंड रखें। यह फंड ऐसे खाते में रखें जहाँ जबरदस्ती उसका उपयोग न हो – जैसे एक अलग बचत खाता या अल्पावधि की FD में। आपातकालीन फंड होने से ज़रूरत पड़ने पर आपको महंगे कर्ज़ लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और मानसिक सुरक्षा मिलेगी।

  6. ऋण प्रबंधन कैसे करें?

    ऋण लेने से पहले दोबारा सोचें और केवल ज़रूरत पड़ने पर ही लोन लें। अगर ऋण लेना पड़ जाए, तो समय पर EMI भरने का प्लान बनाएं। कई छोटे-छोटे कर्ज़ हैं तो समेकन (Consolidation) कर लें – मतलब एक बड़े लोन की मदद से बाकी चुकता कर दें। समय पर भुगतान करने से आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा रहता है। अत्यावश्यक हो तो बैंक से ब्याज दर पर नेगोशिएट करें। साथ ही खर्चों पर कड़ी नजर रखें और आवेग में खरीदारी न करें। यदि कई EMI हैं, तो नोटिफिकेशन सेट कर लें ताकि न चूकें। इन तरीकों से ऋण बोझ कम होगा और आप आर्थिक रूप से सुरक्षित रहेंगे।

  7. कौन से फाइनेंशियल टूल्स या ऐप्स मददगार हैं?

    आज कई डिजिटल टूल हैं जो वित्त मैनेजमेंट में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, ET Money, Groww, Moneycontrol, Zerodha Kite आदि ऐप्स हैं जिनसे आप खर्च ट्रैक कर सकते हैं और सीधे निवेश कर सकते हैं। इन ऐप्स में आपके खर्चों का विश्लेषण होता है, बिल रिमाइंडर होता है और आप अपने निवेश पोर्टफोलियो को भी देख सकते हैं। बैंकिंग ऐप्स भी खर्च रिपोर्ट देती हैं। मोबाइल बैंकिंग और UPI ऐप्स से आप बिल पेमेंट और सेविंग ट्रांज़फ़र भी तुरंत कर सकते हैं। तकनीक का फायदा उठाते हुए अपने खर्च और निवेश का हिसाब-किताब रखें।

  8. वित्तीय अनुशासन क्यों ज़रूरी है?

    वित्तीय अनुशासन का मतलब है अपने पैसे पर नियंत्रण बनाए रखना। बिना अनुशासन के कोई भी बजट या बचत योजना पूरी नहीं हो पाती। इसमें शामिल है: समय पर बिल चुकाना, बजट से ज़्यादा खर्च न करना, क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर भरना, फालतू ऋण से बचना आदि। अनुशासन होने पर आप बढ़ती आय के बावजूद भी खर्च को सीमित रखते हैं और बचत पर कायम रहते हैं। जैसे Zerodha Varsity में बताया गया है, खर्च पर नज़र रखने से लाइफ़स्टाइल इन्फ्लेशन (आय बढ़ने पर खर्च भी बढ़ जाना) को रोका जा सकता है। इसलिए वित्तीय अनुशासन डालकर लगातार बचत और निवेश करने की आदत बनाएं, जिससे लंबी अवधि में आप आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे।

  9. SIP क्या है और कैसे काम करता है?

    SIP का मतलब है Systematic Investment Plan, जिसका प्रयोग अधिकांश म्यूचुअल फंड योजनाओं में होता है। इसमें आप हर महीने एक तय राशि (जैसे 500₹ या 1000₹) किसी फंड में निवेश कर देते हैं। SIP के ज़रिए आप बाजार के उतार-चढ़ाव को भी एडजस्ट कर लेते हैं क्योंकि कुछ महीनों में पैसे ज़्यादा खरीदते हैं तो कुछ महीनों कम। लंबी अवधि के लिए SIP अच्छा रिटर्न दे सकता है। उदाहरण के लिए, Groww ऐप पर छोटे-छोटे SIP शुरू करके भी लाखों की बचत हासिल हो सकती है। SIP शुरू करने के लिए अपनी रिस्क प्रोफ़ाइल और निवेश लक्ष्य देखें और फिर ऐप या बैंक के माध्यम से SIP के लिए आवेदन करें।

  10. फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें?

    फाइनेंशियल प्लानिंग में आप अपने छोटे और बड़े लक्ष्यों (जैसे घर खरीदना, शादी, रिटायरमेंट) के लिए योजना बनाते हैं। शुरुआत में अपना बजट बनाएं और बचत-निवेश के नियम तय करें। लक्ष्यों के लिए जरूरी राशि और समय सीमा तय करें, फिर उस हिसाब से निवेश करें। उदाहरण के लिए, रिटायरमेंट के लिए PPF/EPF या म्यूचुअल फंड में निवेश करें। आपातकालीन फंड अलग रखें और ज़रूरी इंश्योरेंस (स्वास्थ्य, जीवन) भी कराएं। एक बार योजना बना लेने पर उसका नियमित मूल्यांकन करें और ज़रूरत के हिसाब से बदलाव करें।
    जैसा Groww ब्लॉग में भी कहा गया है, “बचत के बारे में जितनी जल्दी सोचेंगे उतना फायदा होगा”। इसलिए छोटी राशि से ही बचत की आदत डालें और धीरे-धीरे फाइनेंशियल प्लानिंग करके अपने भविष्य को मजबूत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *